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काशी में देश की समृद्ध संगीतमय सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होंगे जी-20 मेहमान दो महीने में दूसरी बार काशी में होने जा रहा जी-20 समिट, तैयारियां अंतिम दौर में

लखनऊ | गीतं वाद्यं तथा नृत्यं त्रयं संगीतमुच्यते। संगीत की तीनों कलाओं के देवता, भगवान नटराज (शिव) की नगरी काशी में जी-20 के मेहमानों का स्वागत भी पूरी तरह से संगीतमय होने जा रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम् के ध्येय वाक्य के साथ भारत के विभिन्न शहरों में जी-20 बैठकों का आयोजन हो रहा है। इसी क्रम में वाराणसी में दो महीने में दूसरी बार 11 से 13 जून तक जी-20 की बैठक होने जा रही है। डेवलपमेंट मिनिस्टर्स मीटिंग के लिए विश्व के दिग्गज देशों के नेताओं का आगमन दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी में होगा। अतिथियों की मेहमाननवाजी के लिए योगी सरकार ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को संभावित काशी दौरे के वक्त इसे लेकर अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर सकते हैं।

तीन दिन में होंगे 15 संगीतमय आयोजन
मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस बार भी विदेशी मेहमानों के आतिथ्य में कहीं कोई कोर कसर नहीं रहेगी। जी-20 प्रतिनिधिमंडल की अगवानी से लेकर विदाई तक उनकी हर सुख-सुविधा और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने के साथ ही प्रदेश की अनूठी संस्कृति के साथ जोड़ते हुए मनोरंजन की भी व्यवस्था की गई है। योगी सरकार विदेशी मेहमानों के आतिथ्य में तीन दिन के भीतर 15 विशेष प्रकार के संगीतमय सांस्कृतिक आयोजन करेगी। इसमें एयरपोर्ट पर उनके आगमन से लेकर सारनाथ संग्रहालय के अवलोकन तक के लिए रंगारंग कार्यक्रमों की पूरी रूपरेखा तय की गई है। बता दें कि जी-20 बैठक के लिए दुनियाभर से 160 विदेशी डेलीगेट्स वाराणसी पहुंच रहे हैं। इनके साथ ही 100 विदेशी पत्रकार भी वाराणसी में कार्यक्रम के कवरेज के लिए मौजूद होंगे।

डमरुओं की नाद, पाई डंडा, कर्मा, धोबिया, राई और फरुवाही लोकनृत्यों से होगा स्वागत
11 जून को वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर सभी जी-20 डेलीगेट्स का भव्य तरीके पारंपरिक स्वागत किया जाएगा। इस दौरान शिव की नगरी काशी में डमरुओं के नाद से विदेशी मेहमानों का जोरदार स्वागत होगा तो वहीं बुंदेलखंड का मशहूर ‘दिवारी पाई डंडा नृत्य’ भी जी-20 प्रतिनिधियों को आकर्षित करेगा। एयरपोर्ट से शहर के रास्ते में तरना नामक स्थान पर ‘कर्मा लोकनृत्य’ विदेशी नेताओं को भारत की अनादिकालीन विरासत से रूबरू कराएगा। वाराणसी शहर में प्रवेश के साथ ही शिवपुर तिराहे पर विदेशी आगंतुक पूर्वांचल के प्रसिद्ध ‘धोबिया लोकनृत्य’ का लुत्फ उठाएंगे। वहीं ताज होटल में उनका स्वागत बुंदेलखंड के दूसरे लोकनृत्य ‘राई’ और पूर्वांचल के भोजपुरी इलाकों के प्रसिद्ध ‘फरुवाही लोकनृत्य’ से होगा।

गंगातट पर बमरसिया ढोल की थाप बढ़ाएगा मेहमानों की धड़कन
12 जून को विदेशी डेलीगेट्स वाराणसी में नये बने नमो घाट पहुंचेंगे। मोदी-योगी सरकार के द्वारा वाराणसी की खूबसूरती में इजाफा करते हुए निर्मित नमो घाट पर मेहमानों का स्वागत मशहूर ढोल नृत्य बमरसिया से होगा। ढोल की थाप पर थिरकते कलाकार अनूठे अंदाज में विदेशी दिग्गजों का स्वागत गंगातट पर करेंगे। यहीं पर विदेशी डेलीगेट्स के लिए कहरवा लोकनृत्य का भी आयोजन होगा। वाराणसी के ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर में प्रदेश की शिल्पकारी का अवलोकन करने के दौरान विदेशी मेहमानों के लिए थारू लोकनृत्य और ढेडिया लोकनृत्य का आयोजन किया जाएगा। जबकि होटल ताज में दोबारा आगमन पर ब्रिटिश बैगपाइपर की तर्ज पर उत्तराखंड की मस्कबीन की सुमधुर ध्वनि मेहमानों को आकर्षित करेगी। इसके उपरांत शाम को होटल ताज में स्टेट डिनर के दौरान बांसुरी, वायलिन और तबले की मंत्रमुग्ध कर देने वाली ध्वनि संगीत भरे माहौल में भोजन के स्वाद को और बढ़ा देगी। इस दौरान थीम बेस्ड क्लासिकल डांस का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं 13 जून को सारनाथ स्थित संग्रहालय में विदेशी अतिथियों का स्वागत ‘हुड़क मजीरा’ और ‘मयूर लोकनृत्य’ के जरिए होगा।

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