Zindademocracy

कानपुर : काम की तलाश में बिहार से यूपी आए युवक के साथ बर्बरता, आँखे खराब कर बनाया भिखारी बिहार का सुरेश मांझी रोजगार की तलाश में भटकते हुए कानपुर पहुंचा था. उसे एक युवक ने नौकरी का झांसा देकर बंधक बना लिया और फिर भिखारी बनाने के लिए कई तरह के जुल्म किये. सुरेश की आंखों में केमिकल और शरीर को खराब करने के लिए इंजेक्शन देकर उसे भिखारी बना दिया गया.

उत्तर प्रदेश | सुरेश मांझी नाम के युवक की दास्तां सुनकर आपको ऐसा लगेगा जैसे आपको एक फिल्म की कहानी या टीवी एपिसोड की कहानी सुनाई जा रही हो। दरअसल सुरेश कुछ महीने पहले बिहार से काम की तलाश में निकला था जो कानपुर में रोजगार ढूंढ रहा था। तभी यहां पर विजय नाम के एक व्यक्ति ने उसे काम देने की बात कही और साथ ले गया लेकिन कुछ ऐसा सुरेश के साथ हुआ जिस की दास्तान दर्द से भरी है।

सुरेश मांझी पर जो गुजरी वह सुनने पर लगता है कि कानपुर शहर में मानव तस्करी करके भिखारी बनाने वाला गैंग सक्रिय है। नौबस्ता में रहने वाला विजय नाम का शख्स सुरेश मांझी को अपने साथ ले गया और झकरकट्टी पुल के नीचे बने एक कमरे में ले जाकर उसे बांध दिया। सुरेश मांझी ने बताया कि लगातार वहां उसे नशीले इंजेक्शन दिए जाते थे और उसकी आंखों में रोजाना 3 से 5 दिनों तक एक केमिकल डाला जाता था। खाने के लिए केवल एक रोटी दी जाती थी. कुछ दिन बाद उसे वहां से निकाल कर हरियाणा बॉर्डर ले जाया गया।

वहां पर जब उसकी हालत भिखारियों जैसी हो गई तो उसे 70 हजार में राज नाम के व्यक्ति को बेच दिया गया। सुरेश मांझी ने बताया कि जब उसकी हालत भिखारियों जैसी हो गई उसे खाना नहीं दिया जाता था आंखें खराब हो चुकी थी तब उसे भीख मांगने के लिए सुबह सड़क पर छोड़ दिया जाता था और शाम को आकर गैंग का सदस्य सारे पैसे ले लेते थे और अपने साथ लेकर चले जाते थे। सुरेश ने बताया कि उसके जैसे बहुत सारे लोग एक जगह रखे जाते थे जहां खाने के नाम पर बहुत कम भोजन दिया जाता था। सुरेश की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तब हरियाणा के पास सकरी गैंग के सदस्य राज ने उसके तब तक भीख मंगवाया जब तक उसके 70 हज़ार रुपए वापस नहीं हो गए।

राज नाम के व्यक्ति ने सुरेश को लाने वाले विजय को बुलाकर स्वास्थ्य खराब होने के कारण सुरेश को वापस ले जाने को कहा। तब विजय सुरेश को लेकर आ गया। सुरेश ने बताया कि पिछले 2 महीने से वह कानपुर में है लेकिन आंखों की रोशनी ना होने के कारण उसे नहीं पता चला। जब टेंपो वालों की आवाज सुनी और उसमें किदवई नगर का नाम आया तो एक दिन भीख मांगते मांगते सवारी के जरिए वह आ गया।

 

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
Trending